शिक्षक दिवस के अवसर पर सिंधिया स्कूल किला ग्वालियर में महाकवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें देश के सुप्रसिद्ध कवि डॉ विष्णु सक्सेना, कवि विनीत चौहान, कवि तेज नारायण शर्मा, युवा कवि रोहित शर्मा और कवि राज कौशिक जी ने भाग लिया। कवि राज कौशिक जी ने मंच का संचालन किया । इसमें कवि राज कौशिक ने अपनी माता की शिक्षा को याद करते हुए कहा- नमी आंखों में होठों पर सदा मुस्कान होती है, घरों से दूर लोगों की यही पहचान होती है, किसी भी पेड़ से मैंने कोई पता नहीं तोड़ा, कभी मां ने यह कहा था कि इनमें जान होती है। कवि विनीत चौहान ने अपनी ओज पूर्ण वाणी में माताओं और बहनों को आँसू नहीं अंगार बनकर जीने का मंत्र अपनी कविताओं द्वारा दीं.
श्रृंगार रस के कवि विष्णु सक्सेना जी ने कहा- यह जो बीमार सही हो वह दवाएं दे दे, मैं सब पर प्यार लुटाऊँ वे दुआएं दे दे, ए मेरे रब मैं सांस सांस में महक जाऊं, मेरी आवाज की खुशबू को हवाएं दे दे.
श्री बेचैन जी ने व्यंग क्या होता है यह अपनी कविताओ के माध्यम से समझाया. और युवा कवि रोहित शर्मा ने प्रेम के छन्द पढ़े उन्होंने कहा-
तुमको मिल सकता है हमसे बेहतर,
हमको मिल सकता है तुमसे बेहतर,
लेकिन तुम और हम दो गर मिल जाए तो,
कुछ और नहीं हो सकता फिर इससे बेहतर